सोमवार, 31 अक्तूबर 2011

बाथरूम सोग.......


बाथरूम सोग.......
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वो शख्श जो कभी, ना नाचता है , ना गाता है,
ना,  शामिल होता  वह किसी दुःख में किसी के ,
ना, खुशियों की महफिल में कभी जाता है,
उलझा रहता है, स्वयं की ही, उलझन में,
बुझा -बुझा, दबा-दबा सा रहता है, जिन्दगी भर,
मुस्कुराता है , बस होटों  के अंदर,
हंसता नही कभी, खुलकर !
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ऐसा शख्श,
एक जगह , बहुत इतराता,
और छुपकर देखे तो खुश,
नजर आता है,
जब वो घुसता है, बाथरूम में,
तो, बाथरूम, सोग जरुर गुनगुनाता है,
कभी मन ही मन गुनगुनाता है ,
तो,
कभी कोई गाना, जोर से गाता है,
.......यशपाल सिंह 

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