उसकी तारीफ में दो शब्द....
मैं, उसकी तारीफ,
न ही करू, तो अच्छा है, - मुझे
नही, पता उसका प्यार झूठा है,
कि सच्चा है,- --वो,
लडकी बड़ी चंचल है,
जैसे सरिता बहती कल-कल है,
नागिन सी विचरती है
हिरनी सी चलती है,
मुझे नही पता .......
स्वच्छ शांत,बीहर है , या ,
मस्त पवन का झोका है,
छूने से कई बार
उसने, मुझे रोका है!,
मुझे नही पता ...
उसकी आँखे.म्रग नैनी है,
या, सागर सी गहरी है ,
या, आपस में बतायते,
दो, खंजन पक्षी है ,
उसकी जुल्फे,
सावन कि काली घटा है,
बादल सी गरजती है,
नागिन सी लरजती है!,
मुझे नही पता .....
उसके होट
कितने नाजुक है ,
गुलाब से रंगीन , कोमल है,
या, बिम्ब के पके हुए फल है,
चेहरा,
कमल का फूल है ,
या, चन्द्रमा के समान है,
रंग गुलाबी है, या लाल है,
मुझे नही पता .....
उसका, आंचल गुजती ,
बदली की परछाई है,-
या,-किसी वट व्रक्ष की छाया है,
वो, मनुष्य है भी या नही ,
या, -परी कोई आसमा से आई है ...
........."यशपाल सिंह"
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