चलो,
आज ,अपरिचित, का परिचय,
उस,अपरिचित, से कराए.............
हर,ले उसकी,करुणा ,बन धरा ,
इंद्रधनुषी ,आकाश उसे,बनाये,
मन मोह, लालायित कर, भर ,
श्रंगार स्वर, कर्ण उसके,
खुद वीणा, बन ,सहस्त्र
नवजीवन, की आश..
जगाये.............
चलो,
आज ,अपरिचित, का परिचय,
उस,अपरिचित, से कराए.........
बन मन मीत, कर अट्खेली,
दुर्ग,ध्वस्त कर, कठोर हर्दय,
भेद सब, घर्णा चक्र ,
बन अभिमन्यु,
तज सब, मोह जीवन
शून्य शिखर ,पर
परचम , लहराए............
चलो,
आज ,अपरिचित, का परिचय,
उस,अपरिचित, से कराए..............
....आपका यशपाल सिंह "एडवोकेट"
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