मुझसे तो अच्छे , ये कबूतर है ......
जिन्हें तुम , रोज डालती हो दाना,
ये लिपट जाते है, तुमसे करके,
चुगने का बहाना,
आ बैठते है, पास तुम्हारे ,
बने रहते है, चहेते और प्यारे,
फिदा हो तुम, इन पर,
लगते, तुम्हे ये जान से प्यारे,
काश के मैं , भी कबूतर,
होता,
और तुम्हारे, आगोश,
में, दाना चरने , बैठ जाता ,
उगली को पकड़, धीरे से सहलाता,
सुन्दरता, को करीब से देख पाता ,
अदाओ, पे फिदा हो जाता,
इसके आलावा मुझे,
कोई दूसरा काम, न होता,
कितना होता,
खुश नसीब , ,मैं ,
जो मेरे उपर ,
तुम्हारे प्यार का,
साया होता,
......यशपाल सिंह
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