YASHPAL SINGH ADVOCATE RAMPUR MANIHARAN
सोमवार, 3 अक्तूबर 2011
मैं ढूढता रहा .......
मैं
ढूढता रहा ,
तुम्हे उम्र भर
तुम ना, कहीं
मिले मगर,
क्या मेरी चाहत में
कमी थी, कोई
जो मिलकर भी तुम
मिल ना सके
फूल, बहारो के
खिल ना सके ]
वीरान रही जिन्दगी] अरमा रहे अधूरे
ख्वाब तुम हो गये, सपने सब धुँआ हुए!
........यशपाल सिंह एडवोकेट
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