प्यार की भाषा...........
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प्यार की ना कोई, भाषा है,
ना कोई बोली है,
बस, प्यार एक,
एक मौन एहसास है,
जुबा बन्द, रहती है,
लब, खामोश रहते है,
प्रेमी, फिर भी सुनते है,
फिर भी कहते है,
,
जमाना,
मौजूद, रहता है,ये सारा,
तब भी, प्रेमी,
आँखों से बया करते,
तन्हाई सा, प्यार का इशारा,
बाते, ना करते हुए,
भांप जाते है,
दिल का सारा मंजर ,
नही रहते,
एक दूजे से बेखबर,
बस,
प्यार में, आँखे बनी रहती है,
रडार, कैच करती है, सिग्नल,
और , दिल
कंट्रोल रूम,बन
संभालता है,
कमान,
.....यशपाल सिंह
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