गुरुवार, 24 नवंबर 2011

प्यार शास्त्र है, अथवा विज्ञान......

प्यार शास्त्र है, अथवा   विज्ञान-
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प्यार शास्त्र है, अथवा   विज्ञान...
चलो,
करे इस समस्या का समाधान,
इसमे,
शास्त्र के बहुत गुण है,
भाव है, मार्मिकता है,
जज बात  हैं ,
लम्बे ख्यालात हैं, 
मौन अभिव्यक्ति है,
स्वयं उपजा अनुराग है,
कौतुहल है,
उत्सुकता है,
इच्छा है, चाह  है,
करुणा है, वेदना है ,
इसमें समावेशित, 
श्रंगार, और वियोग है,
इस प्रकार सिद्ध होता है, की
यह शास्त्रीय प्रकिर्या  है......
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लेकिन,
प्यार, अनुभूति की,
खोज है, 
फैलने वाला रोग है,
उत्साह बढ़ाने की , दवा है,
परमपराओ से,
इसमें कुछ अलग  है,
बदलती परिभाषा  है,
कुछ नया कर गुजरने,
कि-  अभिलाषा है,
बढती जिज्ञाषा,
शरीर कि भौतिक,
जरूरत है,
क्योकि,
आकर्षण का केंद्र,
अच्छी शक्ल,
सुरत है,
इस प्रकार विभेद कर पाना मुश्किल है,
समाधन सिर्फ एक है,
 विज्ञान का वही सूत्र , लगायें,
......प्यार आओ, करके सीखे....
...यशपाल सिंह 

 

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