सोमवार, 13 जुलाई 2015
गुरुवार, 25 जून 2015
गुरुवार, 18 जून 2015
तुम बिन ये बरसात, .........अब अच्छी नही लगती,
तुम बिन ये बरसात, ...........अब अच्छी नही लगती!
*****************************************
तुम्हारे संग गुजरे हुए ................. .पलो को सोचकर,
गुजरते है,दिनअच्छे,...मगर रात अच्छी नही लगती!
तुम बिन ये बरसात, ...........अब अच्छी नही लगती!
मिलते तो हम है, .................सबसे मगर,तेरे सिवा,
किसी और से मुलाकात,...... से अच्छी नही लगती!
तुम बिन ये बरसात, ..........अब अच्छी नही लगती!
सिकवे है..... मुझे तुमसे,.. न जाने कितने गिले है,
पर करनी शिकायते बार-बार..अच्छी नही लगती !
तुम बिन ये बरसात, ..........अब अच्छी नही लगती!
यादे तुमसे जुडी है, मेरी . ...... पर मुझे तुम बिन,
यादों की ये बारात .............अब अच्छी नही लगती!
तुम बिन ये बरसात, ..........अब अच्छी नही लगती!
यूँ तो आती है, हर रोज.............. ये काली घटाये,
बरसता रहता है, हर रोज,...................ये सावन!
फिर भी मन अशांत है,................ न जाने क्यों !
रिमझिम सी सौगात..... अब अच्छी नही लगती!
तुम बिन ये बरसात, ......अब अच्छी नही लगती!
Yashpal Singh "Advocate"
18-6-2015
7:20 Pm
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तुम्हारे संग गुजरे हुए ................. .पलो को सोचकर,
गुजरते है,दिनअच्छे,...मगर रात अच्छी नही लगती!
तुम बिन ये बरसात, ...........अब अच्छी नही लगती!
मिलते तो हम है, .................सबसे मगर,तेरे सिवा,
किसी और से मुलाकात,...... से अच्छी नही लगती!
तुम बिन ये बरसात, ..........अब अच्छी नही लगती!
सिकवे है..... मुझे तुमसे,.. न जाने कितने गिले है,
पर करनी शिकायते बार-बार..अच्छी नही लगती !
तुम बिन ये बरसात, ..........अब अच्छी नही लगती!
यादे तुमसे जुडी है, मेरी . ...... पर मुझे तुम बिन,
यादों की ये बारात .............अब अच्छी नही लगती!
तुम बिन ये बरसात, ..........अब अच्छी नही लगती!
यूँ तो आती है, हर रोज.............. ये काली घटाये,
बरसता रहता है, हर रोज,...................ये सावन!
फिर भी मन अशांत है,................ न जाने क्यों !
रिमझिम सी सौगात..... अब अच्छी नही लगती!
तुम बिन ये बरसात, ......अब अच्छी नही लगती!
Yashpal Singh "Advocate"
18-6-2015
7:20 Pm
बुधवार, 17 जून 2015
लौटकर अब, ..वो गुजरे जमाने नही आते।
लौटकर अब, ..वो गुजरे जमाने नही आते।
*******************************************
खाया करते थे.... .....जो कभी कसमे,
साथ मेरे जीने की......साथ मेरे मरने की।
अब भूल गए ..वादों को, निभाने नही आते,
लौटकर अब, ...वो गूजरे जमाने नही आते।
पतझड़ में गिर जाये..गर दरख्तो के पत्ते,
तुम लाख कौशिशें............ करके देख लो,
फूल नये खिलते है, कभी पुराने नही आते,
लौटकर अब, ...वो गूजरे जमाने नही आते।
वो खण्डर समझ बैठे है...पुराने मकान को,
दिन में जहां...कई बार लगते थे, चक्कर।
अब रात में सम्मा भी,.. जलाने नही आते,
लौटकर अब, ...वो गूजरे जमाने नही आते।
समझाते थे...जो महोब्बत होने से पहले,
समझाते थे...जो महोब्बत होने से पहले,
हाल देखकर के दीवानो सा,.. .. ..अपना।
लौटकर अब, ...वो गूजरे जमाने नही आते।
yashpal singh "Advocate"
17-6-2015
10:20pm
सोमवार, 15 जून 2015
तुम्हें, कुछ लिखना..... हो अगर,
तुम्हें, कुछ लिखना..... हो अगर,
तो, मेरे मन के ख्यालात लिख दो।
तो, मेरे मन के ख्यालात लिख दो।
कुछ अहसास....... लिखो,
कुछ जज्बात ....लिख दो।
तुम्हें, कुछ लिखना....... हो अगर,
तो, मेरे मन के ख्यालात लिख दो।
कुछ जज्बात ....लिख दो।
तुम्हें, कुछ लिखना....... हो अगर,
तो, मेरे मन के ख्यालात लिख दो।
कुछ दिन की..... ..बातें लिखो,
कैसे गुजरती है..रात लिख दो।
तुम्हें, कुछ लिखना....... हो अगर,
तो, मेरे मन के ख्यालात लिख दो।
कैसे गुजरती है..रात लिख दो।
तुम्हें, कुछ लिखना....... हो अगर,
तो, मेरे मन के ख्यालात लिख दो।
कलियों की...... खुशबु पर लिखो,
भँवरे के... दिल की बात लिख दो।
तुम्हें, कुछ लिखना....... हो अगर,
तो, मेरे मन के ख्यालात लिख दो।
भँवरे के... दिल की बात लिख दो।
तुम्हें, कुछ लिखना....... हो अगर,
तो, मेरे मन के ख्यालात लिख दो।
सावन की काली.......घटा पर लिखो,
क्यों होती है.........बरसात लिख दो।
तुम्हें, कुछ लिखना..... ...हो अगर,
तो, मेरे मन के ख्यालात लिख दो।
क्यों होती है.........बरसात लिख दो।
तुम्हें, कुछ लिखना..... ...हो अगर,
तो, मेरे मन के ख्यालात लिख दो।
कुछ अपने दिल... ........की बातें लिखो,
कैसे हुई थी, अपनी. मुलाकात लिख दो।
तुम्हें, कुछ लिखना..... ...हो अगर,
तो, मेरे मन के ख्यालात लिख दो।
कैसे हुई थी, अपनी. मुलाकात लिख दो।
तुम्हें, कुछ लिखना..... ...हो अगर,
तो, मेरे मन के ख्यालात लिख दो।
©Yashpal Singh "Advocate" 15-6-2015
11:15pm
11:15pm
रविवार, 14 जून 2015
शुक्रवार, 12 जून 2015
ए काश, की तुमने मुझ पर भी,
ए काश, की तुमने मुझ पर भी,
कोई गीत..... .....लिखा होता।
कोई गीत..... .....लिखा होता।
नया सा....साज़ कोई,
संगीत... लिखा होता।
ए काश, की तुमने मुझ पर भी,
कोई गीत.......... लिखा होता।
संगीत... लिखा होता।
ए काश, की तुमने मुझ पर भी,
कोई गीत.......... लिखा होता।
मैंने, न जाने क्यों?
मैंने, न जाने क्यों?
सम्भालकर रखा है,आज भी,
वो तुम्हारा दिया,
गुलाब का फूल।....
कुछ...तो, बाकि है।...
हम दोनों के बीच
आज फिर, एक
किताब खोलकर देखी,
तो, सामने आ गया,.....
गुजरे जमाने की,
याद दिल गया।....
रंग, सुर्ख निकला,
सुखी हुई थी,..पत्तिया
काँटों ने, फिदरत न बदली।
ज्यों के त्यों थे, सूल...
सम्भालकर रखा है,आज भी,
वो तुम्हारा दिया,
गुलाब का फूल।....
कुछ...तो, बाकि है।...
हम दोनों के बीच
आज फिर, एक
किताब खोलकर देखी,
तो, सामने आ गया,.....
गुजरे जमाने की,
याद दिल गया।....
रंग, सुर्ख निकला,
सुखी हुई थी,..पत्तिया
काँटों ने, फिदरत न बदली।
ज्यों के त्यों थे, सूल...
©Yshpal singh..
7-6-2015 4:40pm
7-6-2015 4:40pm
मैं, तलाश-ता रहा उन्हें।
मैं, तलाश-ता रहा उन्हें।
पत्थर' तरास कर।
मुझे, पता ही नही, चला...
अपने हुनर का।
न जाने कब....पत्थर' तरास कर।
मुझे, पता ही नही, चला...
अपने हुनर का।
मूर्तिकार बन गया।
..©Yashpal Sinhg "Advocate" 12-05-2015
10:43am
ये जमाना भी, अज़ीब है,......दोस्तों,
मैं "तन्हाई" पर, शोध करने चला था।
और लोगो ने, मुझे ही।
"तन्हा"..समझ लिया।
मैं "तन्हाई" पर, शोध करने चला था।
और लोगो ने, मुझे ही।
"तन्हा"..समझ लिया।
....©Yashpal Singh "Advocate"
29/4/2015 - 1:55pm
29/4/2015 - 1:55pm
इस तरह से होली मनाऊँ।
जी
करता है,
कि, मैं तेरी
जुल्फों से खेलूं।
होली, का मौका है,
गुलाल लगाने के बहाने,
मैं, तेरी गुलाबी, मुलायम,
संगमरमरसी,गालो को
अपने हाथों में, .....लेंलूँ।
तुम, शरमा कर, सिर रख दो,
मेरी, गोद में, आँखे बंद कर लो।
मैं, होले-होले तुम्हारी जुल्फों को,
सहलाऊँ, कुछ इस तरह से होली मनाऊँ।
©Yashpal Singh"Advocate"6-3-2015
करता है,
कि, मैं तेरी
जुल्फों से खेलूं।
होली, का मौका है,
गुलाल लगाने के बहाने,
मैं, तेरी गुलाबी, मुलायम,
संगमरमरसी,गालो को
अपने हाथों में, .....लेंलूँ।
तुम, शरमा कर, सिर रख दो,
मेरी, गोद में, आँखे बंद कर लो।
मैं, होले-होले तुम्हारी जुल्फों को,
सहलाऊँ, कुछ इस तरह से होली मनाऊँ।
©Yashpal Singh"Advocate"6-3-2015
रोक लो, ...इन हवाओं को,
रोक लो, ...इन हवाओं को,
कहीं, .. तूफ़ान न बन जाये।
दरिया खुद में,... डुबोले किश्ती को,
कहीं, ...साहिल गवाह न बन जाये।
रोक लो, ...इन हवाओं को,
कहीं, .. तूफ़ान न बन जाये।
समा की चाहत में,...परवाना,
कहीं, जलकर बर्बाद न, हो जाये।
रोक लो, ...इन हवाओं को,
कहीं, ....तूफ़ान न बन जाये।
©... Yashpal singgh
16/2/2015
कहीं, .. तूफ़ान न बन जाये।
दरिया खुद में,... डुबोले किश्ती को,
कहीं, ...साहिल गवाह न बन जाये।
रोक लो, ...इन हवाओं को,
कहीं, .. तूफ़ान न बन जाये।
समा की चाहत में,...परवाना,
कहीं, जलकर बर्बाद न, हो जाये।
रोक लो, ...इन हवाओं को,
कहीं, ....तूफ़ान न बन जाये।
©... Yashpal singgh
16/2/2015
गुरुवार, 12 फ़रवरी 2015
मैंने, "रोज डे" पर, उन्हें, .
मैंने, "रोज डे" पर,
उन्हें, सलाम लिख दिया।
********************
डालियों, से काँटों, को चुना मैंने,
फूलों, को तेरे नाम लिख दिया|
मैंने, "रोज डे" पर,
उन्हें, सलाम लिख दिया।
********************
देखा, उनकी और
,नजरें थी, झुकी हुई।
उठी, तो ये पैगाम लिख दिया।
मैंने, "रोज डे" पर,
उन्हें, सलाम लिख दिया।
********************
तुम, मानों या ना मानो,
मैंने,अपने गुलाबी दिल को,
धडकनों सहित,
तुम्हारे नाम लिख दिया।
मैंने, "रोज डे" पर,उन्हें,
सलाम लिख दिया।
********************
. ©.Yashpal Singh "Advocate"..6/2/2015
उन्हें, सलाम लिख दिया।
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डालियों, से काँटों, को चुना मैंने,
फूलों, को तेरे नाम लिख दिया|
मैंने, "रोज डे" पर,
उन्हें, सलाम लिख दिया।
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देखा, उनकी और
,नजरें थी, झुकी हुई।
उठी, तो ये पैगाम लिख दिया।
मैंने, "रोज डे" पर,
उन्हें, सलाम लिख दिया।
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तुम, मानों या ना मानो,
मैंने,अपने गुलाबी दिल को,
धडकनों सहित,
तुम्हारे नाम लिख दिया।
मैंने, "रोज डे" पर,उन्हें,
सलाम लिख दिया।
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. ©.Yashpal Singh "Advocate"..6/2/2015
आज तुम घर से नही निकलोगे,...
आज तुम घर से नही निकलोगे,
ऐसा, श्रीमती जी ने प्रतिबन्ध लगाया।
***************************************
"रोज" डे गया, "चाकलेट" डे गया,
"हग" डे गया, "किस" डे गया,
जैसे ही,
"वेलेंन्टान डे" का नम्बर आया...
आज तुम घर से नही निकलोगे,
ऐसा, श्रीमती जी ने प्रतिबन्ध लगाया।
**************************************
अगर, आज तुमने किसी भी,
पड़ोसन से हंसकर,
की बातें, और आँख,
उठाकर भी देखा,तो मैं,
संमझुगी, की तुमने,
"वेलेंन्टान डे" है, मनाया..
आज तुम घर से नही निकलोगे,
ऐसा, श्रीमती जी ने प्रतिबन्ध लगाया।
***************************************
आज तुम, पूजा के लिए,
लाल फुल लेकर,
मन्दिर भी नही, ..जाओगे,
न जाने किसके हाथ में,
फूल थमा,
वेलेंन्टान डे बोल दो,
ऐसी आशंका को जताया...
आज तुम घर से नही निकलोगे,
ऐसा, श्रीमती जी ने प्रतिबन्ध लगाया।
****************************************
आज तुम,
मोर्निग वाक पर,
पार्क भी नही जाओगे,
क्योकि, शिवसेना और बजरंग दल,
वहाँ विराजमान है,
तुम्हारे, साथ टहलती देख,
न जाने किस महिला से,
जबरदस्ती शादी करा दें।
उन्होंने ऐसा, ऐलान है कराया....
आज तुम घर से नही निकलोगे,
ऐसा, श्रीमती जी ने प्रतिबन्ध लगाया।
..©यशपाल सिंह"एडवोकेट"13/2/2015 9:50pm..6/2/2015
ऐसा, श्रीमती जी ने प्रतिबन्ध लगाया।
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"रोज" डे गया, "चाकलेट" डे गया,
"हग" डे गया, "किस" डे गया,
जैसे ही,
"वेलेंन्टान डे" का नम्बर आया...
आज तुम घर से नही निकलोगे,
ऐसा, श्रीमती जी ने प्रतिबन्ध लगाया।
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अगर, आज तुमने किसी भी,
पड़ोसन से हंसकर,
की बातें, और आँख,
उठाकर भी देखा,तो मैं,
संमझुगी, की तुमने,
"वेलेंन्टान डे" है, मनाया..
आज तुम घर से नही निकलोगे,
ऐसा, श्रीमती जी ने प्रतिबन्ध लगाया।
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आज तुम, पूजा के लिए,
लाल फुल लेकर,
मन्दिर भी नही, ..जाओगे,
न जाने किसके हाथ में,
फूल थमा,
वेलेंन्टान डे बोल दो,
ऐसी आशंका को जताया...
आज तुम घर से नही निकलोगे,
ऐसा, श्रीमती जी ने प्रतिबन्ध लगाया।
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आज तुम,
मोर्निग वाक पर,
पार्क भी नही जाओगे,
क्योकि, शिवसेना और बजरंग दल,
वहाँ विराजमान है,
तुम्हारे, साथ टहलती देख,
न जाने किस महिला से,
जबरदस्ती शादी करा दें।
उन्होंने ऐसा, ऐलान है कराया....
आज तुम घर से नही निकलोगे,
ऐसा, श्रीमती जी ने प्रतिबन्ध लगाया।
..©यशपाल सिंह"एडवोकेट"13/2/2015 9:50pm..6/2/2015
सोमवार, 26 जनवरी 2015
माँ हम तुझे, सलाम करते है।.....
यह मेरी लघु कविता भारत माता के चरणों में समर्पित है। और हमारे देश की सीमओं पर तैनात फौजी भाइयों की होसला अफजाई के लिए है. जो मेरे द्वारा 26/01/2015 की पूर्व संध्या पर लिखी गयी है।
माँ हम तुझे, सलाम करते है।.....
*************************
पाला है, तुमने हमें,
तुमने ही, संभाला है,
झुका कर सिर, तेरे चरणों में,
...माँ...
अभिनन्दन हम, बारम-बार, करते है।
माँ हम तुझे, सलाम करते है।.........
*************************
पाला है, तुमने हमें,
तुमने ही, संभाला है,
झुका कर सिर, तेरे चरणों में,
...माँ...
अभिनन्दन हम, बारम-बार, करते है।
माँ हम तुझे, सलाम करते है।.........
ललकारते है, हम उन दुष्टों को,
जो,.. तेरे सीने को,
...माँ...
लहू-लुहान करते है।
माँ हम तुझे, सलाम करते है।......
जो,.. तेरे सीने को,
...माँ...
लहू-लुहान करते है।
माँ हम तुझे, सलाम करते है।......
पनपने न देगें, आंतकी साया,
हिंदुस्ता की, सर- जमीं,
...माँ...
हम ये खुला, ऐलान करते है।..
माँ हम तुझे, सलाम करते है।......
हिंदुस्ता की, सर- जमीं,
...माँ...
हम ये खुला, ऐलान करते है।..
माँ हम तुझे, सलाम करते है।......
तपती धूप हो, या तापमान,
शून्य से नीचे।
करने को सरहद की रक्षा,
....माँ....
हम अपने,
सिर हंसकर बलिदान करते है।
माँ हम तुझे, सलाम करते है।.......
शून्य से नीचे।
करने को सरहद की रक्षा,
....माँ....
हम अपने,
सिर हंसकर बलिदान करते है।
माँ हम तुझे, सलाम करते है।.......
हिम्मत है, अगर किसी में,
वो, सीमा की तरफ,
आँख उठाकर देखे,
.....माँ.....
देखना, तेरे बेटे
उसका कैसा हाल, करते है।
माँ हम तुझे, सलाम करते है।.....
वो, सीमा की तरफ,
आँख उठाकर देखे,
.....माँ.....
देखना, तेरे बेटे
उसका कैसा हाल, करते है।
माँ हम तुझे, सलाम करते है।.....
..©यशपाल सिंह "एडवोकेट"
25/01/2015
25/01/2015
प्यार कैसा होता है....
प्यार कैसा होता है,
मुझे नहीं, पता।
लेकिन,
इतना
अहसास है, मुझे।....
मुझे नहीं, पता।
लेकिन,
इतना
अहसास है, मुझे।....
गुजरते है,
जब,
वो, करीब से..
तो, धडकने,
बढने लगती है।
मन में,
भूचाल से आते है।....
जब,
वो, करीब से..
तो, धडकने,
बढने लगती है।
मन में,
भूचाल से आते है।....
मचल उठता है,
दिल मेरा,
उनके,
मनुहार को,
इसमें,
तूफान से आते है।....
दिल मेरा,
उनके,
मनुहार को,
इसमें,
तूफान से आते है।....
हुआ, करता था,
ऐसा,
पहले कभी,
जब,
वो करीब थे,
अब, सिर्फ, मन में,
यूँ, ख्याल से आते है।....
ऐसा,
पहले कभी,
जब,
वो करीब थे,
अब, सिर्फ, मन में,
यूँ, ख्याल से आते है।....
....© यशपाल सिंह "एडवोकेट"
23/01/2015
23/01/2015
शुक्रवार, 2 जनवरी 2015
Happy New Year कहना था।
मेरी, यह कविता सत्य घटना पर आधारित है। कल्पना का कोई सहारा नही लिया
गया है। इसका किसी फेसबुक मित्र/Whatsaapमित्र या पूर्व प्रेमिका (वर्तमान
में पतनी को छोडकर नही है) या किसी भी पुरुष/महिला से कोई भी सम्बन्ध किसी
प्रकार का नही है। और न ही किसी की भावना को ठेस पहुंचना मेरी कविता का
उद्देश्य है। यह कविता मैंने, अपनी श्रीमती जी के लिए,.. लिखी है। जो मुझसे
नाराज है। वे 28/12/14 से अपने मायके गयी हुई थी। मैंने 31/12/14 की रात
को Happy New Year का SMS किया था। पर
सुबह 1/1/15 को उठकर फोन नही कर सका और वे.... नाराज हो गयी। बाद में दोपहर
को फोन किया तो मैडम जी, नाराज थी। मैंने समझाया की "नववर्ष" तो अभी शुरू
ही हुआ है, पर नहीं मान रही। ...इस प्रकार लघु कविता के माध्यम से उन्हें
समझने व् मनाने का लगातार प्रयास जारी.. ....
Happy New Year
कहना था।
********************
भूल कर गुस्सा,
झील सी, शांत हो,
तुम, जरा मुस्कुराओ।
..... तो, कह दूँ।
गलतिया, माफ़ कर,
जताकर..... प्यार,
फिर मेरे, करीब आओ।
..... तो, कह दूँ।
पहले, सा मानकर,
महोब्ब्ते इजहार, कर,
मुझे, .. अपना बनाओ।
...... तो, कह दूँ।
ठण्ड, बहुत है,
तुम, चाय बना कर,
अपने, हाथो से पिलाओ।
......तो, कह दूँ।
झुकी, डाली सी,
शरमा कर, बल खाकर,
मरग, नैनो को उठाओ।
.......तो, कह दूँ।
तुम पढकर, मेरी,
कविता हंसकर,
मुझे, सीने से लगाओ।
..... तो, कह दूँ
***Happy New Year***
....©Yashpal Singh "Advocate"
2/1/2015 6:10pm
कहना था।
********************
भूल कर गुस्सा,
झील सी, शांत हो,
तुम, जरा मुस्कुराओ।
..... तो, कह दूँ।
गलतिया, माफ़ कर,
जताकर..... प्यार,
फिर मेरे, करीब आओ।
..... तो, कह दूँ।
पहले, सा मानकर,
महोब्ब्ते इजहार, कर,
मुझे, .. अपना बनाओ।
...... तो, कह दूँ।
ठण्ड, बहुत है,
तुम, चाय बना कर,
अपने, हाथो से पिलाओ।
......तो, कह दूँ।
झुकी, डाली सी,
शरमा कर, बल खाकर,
मरग, नैनो को उठाओ।
.......तो, कह दूँ।
तुम पढकर, मेरी,
कविता हंसकर,
मुझे, सीने से लगाओ।
..... तो, कह दूँ
***Happy New Year***
....©Yashpal Singh "Advocate"
2/1/2015 6:10pm
पुराना साल, जाते-जाते.....
पुराना साल, जाते-जाते.....
***********************
पुराना साल,
जाते-जाते,
मुझे, कई तौहफे दे, गया...
***********************
पुराना साल,
जाते-जाते,
मुझे, कई तौहफे दे, गया...
सब, ठीक चला,
खुशिया, बरसती रही,
काम, कुछ अनोखे दे, गया...
पुराना साल,
जाते-जाते,
मुझे, कई तोहफे दे, गया....
उनसे, बाते,
होती रही,
मुलाकात, के
कई, मौके दे, गया....
पुराना साल,
जाते-जाते,
मुझे, कई तोहफे दे, गया....
..©Yahpal Singh "Advocate"
..31/12/2014
खुशिया, बरसती रही,
काम, कुछ अनोखे दे, गया...
पुराना साल,
जाते-जाते,
मुझे, कई तोहफे दे, गया....
उनसे, बाते,
होती रही,
मुलाकात, के
कई, मौके दे, गया....
पुराना साल,
जाते-जाते,
मुझे, कई तोहफे दे, गया....
..©Yahpal Singh "Advocate"
..31/12/2014
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