मेरी, यह कविता सत्य घटना पर आधारित है। कल्पना का कोई सहारा नही लिया
गया है। इसका किसी फेसबुक मित्र/Whatsaapमित्र या पूर्व प्रेमिका (वर्तमान
में पतनी को छोडकर नही है) या किसी भी पुरुष/महिला से कोई भी सम्बन्ध किसी
प्रकार का नही है। और न ही किसी की भावना को ठेस पहुंचना मेरी कविता का
उद्देश्य है। यह कविता मैंने, अपनी श्रीमती जी के लिए,.. लिखी है। जो मुझसे
नाराज है। वे 28/12/14 से अपने मायके गयी हुई थी। मैंने 31/12/14 की रात
को Happy New Year का SMS किया था। पर
सुबह 1/1/15 को उठकर फोन नही कर सका और वे.... नाराज हो गयी। बाद में दोपहर
को फोन किया तो मैडम जी, नाराज थी। मैंने समझाया की "नववर्ष" तो अभी शुरू
ही हुआ है, पर नहीं मान रही। ...इस प्रकार लघु कविता के माध्यम से उन्हें
समझने व् मनाने का लगातार प्रयास जारी.. ....
Happy New Year
कहना था।
********************
भूल कर गुस्सा,
झील सी, शांत हो,
तुम, जरा मुस्कुराओ।
..... तो, कह दूँ।
गलतिया, माफ़ कर,
जताकर..... प्यार,
फिर मेरे, करीब आओ।
..... तो, कह दूँ।
पहले, सा मानकर,
महोब्ब्ते इजहार, कर,
मुझे, .. अपना बनाओ।
...... तो, कह दूँ।
ठण्ड, बहुत है,
तुम, चाय बना कर,
अपने, हाथो से पिलाओ।
......तो, कह दूँ।
झुकी, डाली सी,
शरमा कर, बल खाकर,
मरग, नैनो को उठाओ।
.......तो, कह दूँ।
तुम पढकर, मेरी,
कविता हंसकर,
मुझे, सीने से लगाओ।
..... तो, कह दूँ
***Happy New Year***
....©Yashpal Singh "Advocate"
2/1/2015 6:10pm
कहना था।
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भूल कर गुस्सा,
झील सी, शांत हो,
तुम, जरा मुस्कुराओ।
..... तो, कह दूँ।
गलतिया, माफ़ कर,
जताकर..... प्यार,
फिर मेरे, करीब आओ।
..... तो, कह दूँ।
पहले, सा मानकर,
महोब्ब्ते इजहार, कर,
मुझे, .. अपना बनाओ।
...... तो, कह दूँ।
ठण्ड, बहुत है,
तुम, चाय बना कर,
अपने, हाथो से पिलाओ।
......तो, कह दूँ।
झुकी, डाली सी,
शरमा कर, बल खाकर,
मरग, नैनो को उठाओ।
.......तो, कह दूँ।
तुम पढकर, मेरी,
कविता हंसकर,
मुझे, सीने से लगाओ।
..... तो, कह दूँ
***Happy New Year***
....©Yashpal Singh "Advocate"
2/1/2015 6:10pm
सुंदर
जवाब देंहटाएंसुन्दर और भावपूर्ण!
जवाब देंहटाएंअच्छी विरह वेदना,इस से आगे तो क्या कहते ,सुन्दर ,
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