YASHPAL SINGH ADVOCATE
शुक्रवार, 12 जून 2015
वो, मंजिले बदलने में,
वो, मंजिले बदलने में,
मशलूग रहे।
और हम,
रास्ते बदलने में,.........
इस कशमकश में,
वक़्त कैसे .....गूजर गया।
पता ही,......... नही चला।
©Yashpal Singh
8-6-2015 10:00pm
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