YASHPAL SINGH ADVOCATE
शुक्रवार, 12 जून 2015
कागज को, बदला,
कागज को, बदला,
कलम को, बदला,
स्याही को बदल कर, देख लिया।
हवा को, बदला,
पानी को, बदला,
वादियों को बदल कर, देख लिया।
क्या? करूँ
ये कमबख्त दिल,
तेरे, सिवा किसी और विषय पर,
हाथ को लिखने ही,... नही देता।
...© Yashpal Singh "Advocate" 1-4-2015
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