YASHPAL SINGH ADVOCATE
शुक्रवार, 12 जून 2015
खुला, छोड़ा होगा ,जुल्फों को
खुला, छोड़ा होगा,
आज भी, अपनी,
जुल्फों को तुमने |
तभी तो,
ये, सावन की घटा,
वापस, आई है....
छुआ होगा,
जुल्फों ने गालो को,
तभी तो,
चमचमाती बिजली,
के साथ,
ये
बे मौसम बरसात,
आयीं है........
"Yashpal Singh" 29/3/2015
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