गुरुवार, 25 जून 2015

ये सुंदर शब्द कहाँ से लाते है।...

उनके सब्र का..... ...बाँध टूटा,
कल उन्होंने पूछ... ..ही लिया,
कि आप... .....लिखने के लिए,
ये सुंदर शब्द कहाँ से लाते है।....
मैंने,बड़े सहज़ ही जबाब दिया,
मैं शब्द कही से.. ..लाता नही,
तुम्हारी सुंदरता........ को देख,
खुद ही, जहन में....आ जाते हैं।....
©Yashpal Singh
21-6-2015 7:15am

गुरुवार, 18 जून 2015

तुम बिन ये बरसात, .........अब अच्छी नही लगती,

तुम बिन ये बरसात, ...........अब अच्छी नही लगती!
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तुम्हारे संग  गुजरे हुए ................. .पलो को सोचकर,
गुजरते है,दिनअच्छे,...मगर रात अच्छी नही लगती!
तुम बिन ये  बरसात, ...........अब अच्छी नही लगती!


मिलते तो हम है, .................सबसे मगर,तेरे सिवा,
किसी और से मुलाकात,...... से अच्छी नही लगती!
तुम बिन ये  बरसात, ..........अब अच्छी नही लगती!



सिकवे है..... मुझे तुमसे,.. न जाने कितने गिले है,
पर करनी शिकायते बार-बार..अच्छी नही लगती !
तुम बिन ये  बरसात, ..........अब अच्छी नही लगती!



यादे तुमसे जुडी है, मेरी .    ...... पर मुझे  तुम बिन,
यादों की ये बारात .............अब अच्छी नही लगती!
तुम बिन ये  बरसात, ..........अब अच्छी नही लगती!


यूँ तो आती है, हर रोज.............. ये काली घटाये,
बरसता रहता है, हर रोज,...................ये सावन!
फिर भी मन अशांत है,................ न जाने क्यों !
रिमझिम सी सौगात..... अब अच्छी नही लगती!
तुम बिन ये  बरसात, ......अब अच्छी नही लगती!


Yashpal Singh "Advocate"
18-6-2015
7:20 Pm







बुधवार, 17 जून 2015

लौटकर अब, ..वो गुजरे जमाने नही आते।

लौटकर अब, ..वो गुजरे जमाने नही आते।
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खाया करते थे.... .....जो कभी कसमे,
साथ मेरे जीने की......साथ मेरे मरने की।
अब भूल गए ..वादों को, निभाने नही आते,
लौटकर अब, ...वो गूजरे जमाने नही आते।


पतझड़ में गिर जाये..गर दरख्तो के पत्ते,
तुम लाख कौशिशें............ करके देख लो,
फूल नये खिलते है, कभी पुराने नही आते,
लौटकर अब, ...वो गूजरे जमाने नही आते।

वो खण्डर समझ बैठे है...पुराने मकान को, 
दिन में जहां...कई बार लगते थे, चक्कर।
अब रात में सम्मा भी,.. जलाने नही आते,
लौटकर अब, ...वो गूजरे जमाने नही आते।

समझाते  थे...जो महोब्बत होने से पहले, 
हाल देखकर के दीवानो सा,.. .. ..अपना।
अब मित्र पुराने भी,.... समझाने नही आते,
लौटकर अब, ...वो गूजरे जमाने नही आते।

yashpal singh  "Advocate"
17-6-2015
10:20pm

सोमवार, 15 जून 2015

तुम्हें, कुछ लिखना..... हो अगर,

तुम्हें, कुछ लिखना..... हो अगर,
तो, मेरे मन के ख्यालात लिख दो।
कुछ अहसास....... लिखो,
कुछ जज्बात ....लिख दो।
तुम्हें, कुछ लिखना....... हो अगर,
तो, मेरे मन के ख्यालात लिख दो।
कुछ दिन की..... ..बातें लिखो,
कैसे गुजरती है..रात लिख दो।
तुम्हें, कुछ लिखना....... हो अगर,
तो, मेरे मन के ख्यालात लिख दो।
कलियों की...... खुशबु पर लिखो,
भँवरे के... दिल की बात लिख दो।
तुम्हें, कुछ लिखना....... हो अगर,
तो, मेरे मन के ख्यालात लिख दो।
सावन की काली.......घटा पर लिखो,
क्यों होती है.........बरसात लिख दो।
तुम्हें, कुछ लिखना..... ...हो अगर,
तो, मेरे मन के ख्यालात लिख दो।
कुछ अपने दिल... ........की बातें लिखो,
कैसे हुई थी, अपनी. मुलाकात लिख दो।
तुम्हें, कुछ लिखना..... ...हो अगर,
तो, मेरे मन के ख्यालात लिख दो।
©Yashpal Singh "Advocate" 15-6-2015
11:15pm

शुक्रवार, 12 जून 2015

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ए काश, की तुमने मुझ पर भी,

ए काश, की तुमने मुझ पर भी,
कोई गीत..... .....लिखा होता।
नया सा....साज़ कोई,
संगीत... लिखा होता।
ए काश, की तुमने मुझ पर भी,
कोई गीत.......... लिखा होता।
मीरा बन... ... ...मुझसे क्यों?
लगाई ये,.. .प्रीत लिखा होता।
ए काश, की तुमने मुझ पर भी,
कोई गीत.......... लिखा होता।
मन की नौका, ...का खिवैया,
मुझे मन मीत, ...लिखा होता।
ए काश, की तुमने मुझ पर भी,
कोई गीत..... .....लिखा होता।
©Yashpal singh
10-6-2015 9:15pm

वो, मंजिले बदलने में,

वो, मंजिले बदलने में,
मशलूग रहे।
और हम,
रास्ते बदलने में,.........
इस कशमकश में, 
वक़्त कैसे .....गूजर गया।
पता ही,......... नही चला।
©Yashpal Singh
8-6-2015 10:00pm

मैंने, न जाने क्यों?

मैंने, न जाने क्यों?
सम्भालकर रखा है,आज भी,
वो तुम्हारा दिया,
गुलाब का फूल।....
कुछ...तो, बाकि है।...
हम दोनों के बीच
आज फिर, एक
किताब खोलकर देखी,
तो, सामने आ गया,.....
गुजरे जमाने की,
याद दिल गया।....
रंग, सुर्ख निकला,
सुखी हुई थी,..पत्तिया
काँटों ने, फिदरत न बदली।
ज्यों के त्यों थे, सूल...

©Yshpal singh..
7-6-2015 4:40pm

दिल का हाल पूछ लिया

कलियों ने,
भँवरे का ख्याल, पूछ लिया।
आज फिर क्यूँ,
उठा दिल में मलाल पूछ लिया।
जबाब जो खुद थे,
उन्होंने ही,
अजीब सा, सवाल पूछ लिया।
दर्दे दिल का कारण थे, जो
उन्होंने ही,
दिल का हाल पूछ लिया।
©Yashpal Singh
28-5-2015 4:50pm

तुम, ....गर्मी के बहाने,

तुम, ....गर्मी के बहाने, 
बांधकर, चेहरे पर कपड़ा,
होटो के काले तिल को,
यूँ, ही छिपाये रखना।....

काले, चश्मे के पीछे,
कातिल... नैनों को,
यूँ ही, छिपाये रखना।....

वरना, न जाने, कितने,
होंगे, जख्मी।
न जाने, कितने,
संसार के पार होंगे।...
••© Yashpal Singh 
19-5-2015. 3:40pm

मैं, तलाश-ता रहा उन्हें।

मैं, तलाश-ता रहा उन्हें।
पत्थर' तरास कर।
मुझे, पता ही नही, चला...
अपने हुनर का।
न जाने कब....
मूर्तिकार बन गया।
..©Yashpal Sinhg "Advocate" 12-05-2015
10:43am





ये जमाना भी, अज़ीब है,......दोस्तों,
मैं "तन्हाई" पर, शोध करने चला था।
और लोगो ने, मुझे ही।
"तन्हा"..समझ लिया।
....©Yashpal Singh "Advocate"
29/4/2015 - 1:55pm


कागज को, बदला,

कागज को, बदला,
कलम को, बदला,
स्याही को बदल कर, देख लिया।

हवा को, बदला,
पानी को, बदला,
वादियों को बदल कर, देख लिया।

क्या? करूँ
ये कमबख्त दिल,
तेरे, सिवा किसी और विषय पर,
हाथ को लिखने ही,... नही देता।
...© Yashpal Singh "Advocate" 1-4-2015

खुला, छोड़ा होगा ,जुल्फों को

खुला, छोड़ा होगा,
आज भी, अपनी,
जुल्फों को तुमने |
तभी तो, 
ये, सावन की घटा,
वापस, आई है....
छुआ होगा,
जुल्फों ने गालो को,
तभी तो,
चमचमाती बिजली,
के साथ, 

ये
बे मौसम बरसात,
आयीं है........
"Yashpal Singh" 29/3/2015

इस तरह से होली मनाऊँ।

जी 
करता है, 
कि, मैं तेरी
जुल्फों से खेलूं।
होली, का मौका है, 
गुलाल लगाने के बहाने,
मैं, तेरी गुलाबी, मुलायम,
संगमरमरसी,गालो को 
अपने हाथों में, .....लेंलूँ।
तुम, शरमा कर, सिर रख दो,
मेरी, गोद में, आँखे बंद कर लो।
मैं, होले-होले तुम्हारी जुल्फों को,
सहलाऊँ, कुछ इस तरह से होली मनाऊँ।
©Yashpal Singh"Advocate"6-3-2015

रोक लो, ...इन हवाओं को,

   रोक लो, ...इन हवाओं को,
  कहीं, .. तूफ़ान न बन जाये।

   दरिया खुद में,... डुबोले किश्ती को,
   कहीं, ...साहिल गवाह न बन जाये।
   रोक लो, ...इन हवाओं को,
   कहीं, .. तूफ़ान न बन जाये।

   समा की चाहत में,...परवाना,
   कहीं, जलकर बर्बाद न, हो जाये।
   रोक लो, ...इन हवाओं को,
   कहीं, ....तूफ़ान न बन जाये।
 ©... Yashpal singgh
    16/2/2015