गुरुवार, 18 जून 2015

तुम बिन ये बरसात, .........अब अच्छी नही लगती,

तुम बिन ये बरसात, ...........अब अच्छी नही लगती!
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तुम्हारे संग  गुजरे हुए ................. .पलो को सोचकर,
गुजरते है,दिनअच्छे,...मगर रात अच्छी नही लगती!
तुम बिन ये  बरसात, ...........अब अच्छी नही लगती!


मिलते तो हम है, .................सबसे मगर,तेरे सिवा,
किसी और से मुलाकात,...... से अच्छी नही लगती!
तुम बिन ये  बरसात, ..........अब अच्छी नही लगती!



सिकवे है..... मुझे तुमसे,.. न जाने कितने गिले है,
पर करनी शिकायते बार-बार..अच्छी नही लगती !
तुम बिन ये  बरसात, ..........अब अच्छी नही लगती!



यादे तुमसे जुडी है, मेरी .    ...... पर मुझे  तुम बिन,
यादों की ये बारात .............अब अच्छी नही लगती!
तुम बिन ये  बरसात, ..........अब अच्छी नही लगती!


यूँ तो आती है, हर रोज.............. ये काली घटाये,
बरसता रहता है, हर रोज,...................ये सावन!
फिर भी मन अशांत है,................ न जाने क्यों !
रिमझिम सी सौगात..... अब अच्छी नही लगती!
तुम बिन ये  बरसात, ......अब अच्छी नही लगती!


Yashpal Singh "Advocate"
18-6-2015
7:20 Pm







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