लगता है, की तुम हो .....
जब रात में, सोते हुए
आहट सी कोई आये,
कोई तेज हवा , का झोका ,
आकर मेरी चादर,
को होले-होले से
हिला जाये, तो..
लगता है, की तुम हो........
जब हवा ,मंद-मंद ,
गति से बहकर ,
अपने में , खुसबू
तुम्हारी समेत लाये ,
और वो खुशबु , मुझे
तुम्हारे बदन की , खुशबु
की, याद, दिलाये , तो...
लगता है, की तुम हो..........
जब , काली, कोयल
आकर , अपने मधुर
स्वर में , मीठे गीत ,
सुनाये, मेरे,
इस जीवन में ,
तुम्हारे, पास होने,
का एसाहस दिलाये , तो...
लगता है, की तुम हो..........
जब , कहीं दूर
जाती , डोली मेरी ,
मेरी आँखों को ,
भा , जाये , और वहाँ
से , शादी की शहनाई
आवाज आकर , मेरे
कानो को छु कर ,
मन में बस जाये , तो...
लगता है, की तुम हो.......
जब , रात में ,कोई
अनोखा सपना , आकर
हम दोनों को, साथ,
होने का भ्रम दर्शाकर
मेरे जज बातो को,
जगाकर , मुझे
तुम्हारे , आगोश
में, होने का एसाहस
जताकर , दोनों को
करीब, और करीब
कर, लवो से लवो का
स्पर्श , करा जाये, तो......
लगता है, की तुम हो.......
...........आपका यशपाल सिंह
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