दिल-ए-नादाँ, दिल-ए-नादाँ,
इस, दिल-ए-नादाँ,
का जो शोर है,
फैला , चारो ओर है!
यहाँ, आकर अवसर,
मिला मुझे ,
ह्रदय के भाव को , अभिव्यक्त ,
करने का,
साहित्य, समाज, साहस , और श्रंगार,
प्यार ,मित्र , और परिवार ,
भ्रष्टाचार , शिष्टाचार , और त्यौहार,
को दिल से महसूस ,
करने का,
व्
किसी के नैन, केश, उर, उमंग
सोंदर्य , व्यवहार
प्यार, जज बात,
पर
अनोखी कविताई,
करने का,
इसके आलावा भी
शेष रहे ,विषय रह गये ,
कई, और है,
दिल-ए-नादाँ, दिल-ए-नादाँ,
इस, दिल-ए-नादाँ,
का जो शोर है,
फैला , चारो ओर है!
इसके , आलावा भी
दिल-ए-नादाँ, दिल-ए-नादाँ,
इस, दिल-ए-नादाँ,
का जो शोर है,
फैला , चारो ओर है!
मै, आपने आपको,
समझ बैठा था ,
कवि,
पर यहाँ आकर ,
देख, कि मैं तो ,
दर्शक के लायक भी नही,
यहाँ,
यहाँ ,तो मंचासीन ,
कोई, और है, कोई, और है, कोई, और है,
....... यशपाल सिंह
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