रविवार, 11 सितंबर 2011

अब हम करे , तो क्या करे ,महोबत के सिवा



अब हम करे , तो क्या करे ,महोबत के सिवा 
जिन्दगी में कोई, असर बाकि न रहा तुम्हारे ,
असर के सिवा ,

ख़त्म हो चुकी , जिन्दगी मेरी ,

काम कोई मुझे बाकी न रहा,  मरने के सिवा
कुछ भी करना नहीं, अब कुछ भी न, करने के सिवा

हसरतों का भी मेरी तुम कभी करते हो ख़याल,
तुमको कुछ और भी आता है सँवरने के सिवा!
..............यशपाल सिंह 


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