शुक्रवार, 16 सितंबर 2011

वो एक कवि है....

वो एक कवि है..... ..,
सच कहता है ,जमाना 
ये सारा ,
जहाँ नही पहुचता ,रवि 
वहा पहुंच जाता है, कवि !
कवि , आक्रमण को ,देख
व, सहकर उग्र हो जाता है ,
उसका कलम आग बरसता है ,
पर्व पर , खुशिया मनाता है , ]
वियोग में आँशु बहता है ,
तन्हाई , जुदाई ,लड़ाई,
तो कभी सहनाई 
और सगाई,  पर चतुराई से 
अपनी लेखनी ,चलता है ,
कभी किसी की आँखों को ,
हिरनी सी , तो कभी ,
झील सी बताता है ,
कभी उगते सूरज के 
समय पर ,कविता बनता है ,
तो कभी , चंद्रमा की चांदनी में 
प्रिये के मिलन ,की दस्ता को 
अपनी कविता में सुनाता है , ]
तो कभी ,
समाज की पीड़ा ,
बढ रही महंगाई ,भ्रस्टाचार ,
उत्पीडन को सहन कर ,
साहित्य के जरिये ,
समाज के सम्मुख लाता है 
और प्रशासन को सजग कर जाता है ]
तो कभी कविता का विषय ,
समाज की बुराइयों को बनता है ,]
तो कभी , पहाड़ो , झरनों ,
व नदियों की शांति पर 
कविता 
तो कभी ,शहर की भीड़ , प्रदुषण ,
वाहनों के शोर को 
अपनी कविता को  विषय बनता है ,
कभी कीचड़ में कमल  खिलाता है '
तो बरसात में किसी के भीगे
बदन की कल्पना में खो जाता है ,
तो कभी  किसी के प्यार में 
मदहोश हो जाता है ,
आते होट बिम्ब के फल , नजर उसे  
चाल हिरनी सी , नजर आती है ,
कभी काली जुल्फे नागिन सी नजर आती  है ,
कवि करता कड़ी मेहनत 
साहित्य को समाज का दर्पण 
बनता है ,
कभी करता  फौजियों की 
होसला अफजाई ,
तो कभी वियोग्नियो 
को संयम का पाठ पढ़ता है ,
शिक्षया पर करता ध्यान सभी का ,
तो कभी खुद  शिक्षक बन जाता है ,
कभी-कभी वो कोई कविता लिखकर 
आपने आप पर इतराता है 
वो एक ,कवि है, कवि है कवि है ,
......यशपाल सिंह 

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