गुरुवार, 22 सितंबर 2011

लगता है, की तुम हो ..

लगता है, की तुम हो .....

जब रात में, सोते हुए
आहट सी कोई आये, 
कोई तेज हवा , का झोका ,
आकर मेरी चादर,
को होले-होले से 
हिला जाये, तो..
लगता है, की तुम हो........

जब हवा ,मंद-मंद ,
गति से बहकर ,
अपने में , खुसबू 
तुम्हारी समेत लाये ,
और वो खुशबु , मुझे
तुम्हारे बदन की , खुशबु  
की, याद, दिलाये , तो...
लगता है, की तुम हो..........

जब , काली, कोयल 
आकर , अपने मधुर 
स्वर में , मीठे गीत ,
सुनाये,    मेरे, 
इस  जीवन में ,
तुम्हारे, पास  होने, 
का एसाहस  दिलाये , तो...
लगता है, की तुम हो..........

जब , कहीं दूर 
जाती , डोली मेरी ,
मेरी आँखों को ,
भा , जाये , और वहाँ
से , शादी की शहनाई
आवाज आकर , मेरे
कानो को छु कर ,
मन में बस जाये , तो...
लगता है, की तुम हो.......

जब , रात में ,कोई 
अनोखा सपना , आकर
हम दोनों को, साथ, 
होने का भ्रम दर्शाकर
मेरे जज बातो को,
जगाकर , मुझे 
तुम्हारे , आगोश
में, होने का  एसाहस
जताकर , दोनों को 
करीब, और करीब
कर, लवो से  लवो का 
स्पर्श , करा  जाये, तो......
लगता है, की तुम हो.......

...........आपका यशपाल सिंह  
 

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