मंगलवार, 29 नवंबर 2011
वो, जो, बेचते थे, दर्ददे दिल की दवा...
गुरुवार, 24 नवंबर 2011
प्यार शास्त्र है, अथवा विज्ञान......
प्यार शास्त्र है, अथवा विज्ञान-
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प्यार शास्त्र है, अथवा विज्ञान...
चलो,
करे इस समस्या का समाधान,
इसमे,
शास्त्र के बहुत गुण है,
भाव है, मार्मिकता है,
जज बात हैं ,
लम्बे ख्यालात हैं,
मौन अभिव्यक्ति है,
स्वयं उपजा अनुराग है,
कौतुहल है,
उत्सुकता है,
इच्छा है, चाह है,
करुणा है, वेदना है ,
इसमें समावेशित,
श्रंगार, और वियोग है,
इस प्रकार सिद्ध होता है, की
यह शास्त्रीय प्रकिर्या है......
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लेकिन,
प्यार, अनुभूति की,
खोज है,
फैलने वाला रोग है,
उत्साह बढ़ाने की , दवा है,
परमपराओ से,
इसमें कुछ अलग है,
बदलती परिभाषा है,
कुछ नया कर गुजरने,
कि- अभिलाषा है,
बढती जिज्ञाषा,
शरीर कि भौतिक,
जरूरत है,
क्योकि,
आकर्षण का केंद्र,
अच्छी शक्ल,
सुरत है,
इस प्रकार विभेद कर पाना मुश्किल है,
समाधन सिर्फ एक है,
विज्ञान का वही सूत्र , लगायें,
......प्यार आओ, करके सीखे....
...यशपाल सिंह
शनिवार, 19 नवंबर 2011
प्यार का पौधा.........
प्यार का पौधा.........
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प्यार का बीज, पाकर उचित वातावरण,
व तापमान,होता है, अंकुरित,
फिर बढने-पलने लगता है,
धीरे-धीरे, समाज रूपी,
पौधशाला के बीच,
नज्म-बज्म,
शायरी और गीत,
बन जाते है,
उर्वरक, कम्प्लीट,
भाव और भावना ,
उत्प्रेरक,
होते है, ऐसी स्थिति,
के बीच,
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प्रेमी युगल, होते है,स्वंय माली,
आशा रखते है, करते है उम्मीद,
की हम तैयार,
पेड़ के फल खाए ,
कई बार हो भी जाते है,
कामयाब ,
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लेकिन,
अधिकतर, आ जाता है, कोई तूफान,
उखाड़ देता, प्यार के पौधे को,
उड़ा ले जाता है,
अपने साथ,
रह जाते है,
बस,
बिखरे तिनके,
सुखी लताये,
यादो के रूप में,
कुछ,
पीड़ा, सन्नाटा, मौन,
ये अवशेष,
बचते है,
शेष,
....यशपाल सिंह "एडवोकेट"
सोमवार, 14 नवंबर 2011
नही भूला मैं, बरसात का वो दिन..
नही भूला मैं, बरसात का वो दिन
वो तुम्हारा, और मेरा,
अकेले में मिलना !
देर तक .......चुप्पी सादे रहना !
बरवक्त बरसात का....
आ जाना,
वो बारिश में भीगना,
वो प्यार भरी,
प्यारी बाते,
वो तुम्हारा पास आना
तुम्हारा, भीगा बदन,...
जुल्फों से, पानी का टपकना !तुम्हारी, गर्म सासों......
की गर्माहट, का !
मेरी ,
गर्म सासों से टकराना !
तुम्हारे, भीगे बदन का......
मेरे , बदन से टकराना !
बिजली का चमकना !
बादल की की तेज आवाज से!
मंगलवार, 8 नवंबर 2011
इश्क....
इश्क.......
पहले खुशिया देता है,
फिर, हल्का हंसता है ,
उसके बाद पंख लगता है,
और प्यार की नाव पर,
बैठाता है,
नाव का भरोसा नही,
पार भी करा, सकती है,
वरना,
इस नाव के साथ
इंसान डूब जाता है,
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इश्क.........
गमो की मण्डी है,
गुमराह राहों की , पग डंडी है,
गमो को खरीदना है,
तो , आ बोली लगा,
वरना छोड़,
पग डंडी,
सीधी राह से निकल जा,
बोली लगाये गा,
तो खुद फंस जायेगा,
बिना लिए वापस न जायेगा!,
गम, पड जायेगे गले,
सारी उम्र,
बस
गमो में ही बिताएगा,
पहले प्यार,
को
कभी भूल न पायेगा,
........ "यशपाल सिंह "
रविवार, 6 नवंबर 2011
प्यार की भाषा...........
प्यार की भाषा...........
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प्यार की ना कोई, भाषा है,
ना कोई बोली है,
बस, प्यार एक,
एक मौन एहसास है,
जुबा बन्द, रहती है,
लब, खामोश रहते है,
प्रेमी, फिर भी सुनते है,
फिर भी कहते है,
,
जमाना,
मौजूद, रहता है,ये सारा,
तब भी, प्रेमी,
आँखों से बया करते,
तन्हाई सा, प्यार का इशारा,
बाते, ना करते हुए,
भांप जाते है,
दिल का सारा मंजर ,
नही रहते,
एक दूजे से बेखबर,
बस,
प्यार में, आँखे बनी रहती है,
रडार, कैच करती है, सिग्नल,
और , दिल
कंट्रोल रूम,बन
संभालता है,
कमान,
.....यशपाल सिंह
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