बस,
मुझे कवि बना दिया......+++++++++++++++
तुम्हारी,
इन सुर्ख गालो ने,
बिखरे हुए बालो ने,
मस्त अदाओ ने,
महकी खुशबु ने ,
बहकी चाल ने,
तुम्हे, मेरे मन में बसा दिया,
बस,
मुझे कवि बना दिया......
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झील सी आँखों ने ,
भीगी हुई, पलको से ,
न, चाहते हुए भी,
प्यार का नस्त्र,
इस,
पत्थर दिल में चुभो दिया,
बस,
मुझे कवि बना दिया......
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प्यार के, ख्यालातो ने,
उत्पन्न हुए, जज बातो ने,
मुझे,
अकेलेपन और नीरसता से,
कुछ उपर उठ दिया,
बस,
मुझे कवि बना दिया......
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भावनाए थी, पहले भी,
इस, दिल में ,
छुपी हुई थी, मौन अभिव्यक्ति,
कोने में,
थे, कुछ जीवित एहसास,
तुमने,
झन्झोरा मेरे मन को, कुछ ऐसे,
कि, बस
सोयी हुयी,
कवि, प्रतिभा को जगा दिया
बस,
मुझे कवि बना दिया......
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धडकता था, ये दिल पहले भी,
सिर्फ मेरे लिए ,
पर, आकर तुमने,
दिल में ,
बनकर गैर,
इस दिल को गैरो के लिए,
धडकना सीखा दिया,
बस,
मुझे कवि बना दिया........
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........यशपाल सिंह "एडवोकेट"
रामपुर मनिहारान जिला सहारनपुर
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