इन्द्रधनुष की बनाकर रस्सी....
+++++++++++++++++++{हरियाली तीज विशेष}
इन्द्रधनुष की बनाकर रस्सी !
सावन की,
रिम—झिम फुआरों के बीच !
बादलों की लहराती लताओ में,
मैं, तुम्हारा झूला डालूँ !
सितारें हो,
इन लताओ के फूल !
मन है, के तुम्हे झुलाऊ !
अरमानो के हाथ बढाकर,
झूले तक,
तेरे पहुंचा कर !
झूले दूँ इतने लम्बे,
जितनी दूरी,
चाँद से सूरज के बीच !
हवा में लहराये,
जुल्फ तुम्हारी !
मनाऊ, इस तरह,
हरियाली तीज !
..........यशपाल सिंह “एडवोकेट”
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