यह मेरी लघु कविता भारत माता के चरणों में समर्पित है। और हमारे देश की सीमओं पर तैनात फौजी भाइयों की होसला अफजाई के लिए है. जो मेरे द्वारा 26/01/2015 की पूर्व संध्या पर लिखी गयी है।
माँ हम तुझे, सलाम करते है।.....
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पाला है, तुमने हमें,
तुमने ही, संभाला है,
झुका कर सिर, तेरे चरणों में,
...माँ...
अभिनन्दन हम, बारम-बार, करते है।
माँ हम तुझे, सलाम करते है।.........
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पाला है, तुमने हमें,
तुमने ही, संभाला है,
झुका कर सिर, तेरे चरणों में,
...माँ...
अभिनन्दन हम, बारम-बार, करते है।
माँ हम तुझे, सलाम करते है।.........
ललकारते है, हम उन दुष्टों को,
जो,.. तेरे सीने को,
...माँ...
लहू-लुहान करते है।
माँ हम तुझे, सलाम करते है।......
जो,.. तेरे सीने को,
...माँ...
लहू-लुहान करते है।
माँ हम तुझे, सलाम करते है।......
पनपने न देगें, आंतकी साया,
हिंदुस्ता की, सर- जमीं,
...माँ...
हम ये खुला, ऐलान करते है।..
माँ हम तुझे, सलाम करते है।......
हिंदुस्ता की, सर- जमीं,
...माँ...
हम ये खुला, ऐलान करते है।..
माँ हम तुझे, सलाम करते है।......
तपती धूप हो, या तापमान,
शून्य से नीचे।
करने को सरहद की रक्षा,
....माँ....
हम अपने,
सिर हंसकर बलिदान करते है।
माँ हम तुझे, सलाम करते है।.......
शून्य से नीचे।
करने को सरहद की रक्षा,
....माँ....
हम अपने,
सिर हंसकर बलिदान करते है।
माँ हम तुझे, सलाम करते है।.......
हिम्मत है, अगर किसी में,
वो, सीमा की तरफ,
आँख उठाकर देखे,
.....माँ.....
देखना, तेरे बेटे
उसका कैसा हाल, करते है।
माँ हम तुझे, सलाम करते है।.....
वो, सीमा की तरफ,
आँख उठाकर देखे,
.....माँ.....
देखना, तेरे बेटे
उसका कैसा हाल, करते है।
माँ हम तुझे, सलाम करते है।.....
..©यशपाल सिंह "एडवोकेट"
25/01/2015
25/01/2015