सोमवार, 26 जनवरी 2015

माँ हम तुझे, सलाम करते है।.....

 यह मेरी लघु कविता भारत माता के चरणों में समर्पित है। और हमारे देश की सीमओं पर तैनात फौजी भाइयों की होसला  अफजाई के लिए है. जो मेरे द्वारा 26/01/2015 की पूर्व संध्या पर लिखी गयी है।
 माँ हम तुझे, सलाम करते है।.....
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 पाला है, तुमने हमें,
 तुमने ही, संभाला है,
 झुका कर सिर, तेरे चरणों में,
...माँ...
 अभिनन्दन हम, बारम-बार, करते है।
 माँ हम तुझे, सलाम करते है।.........
 ललकारते है, हम उन दुष्टों को,
 जो,.. तेरे सीने को,
 ...माँ...
 लहू-लुहान करते है।
 माँ हम तुझे, सलाम करते है।......
 पनपने न देगें, आंतकी साया,
 हिंदुस्ता की, सर- जमीं,
...माँ...
 हम ये खुला, ऐलान करते है।..
 माँ हम तुझे, सलाम करते है।......
 तपती धूप हो, या तापमान,
 शून्य से नीचे।
 करने को सरहद की रक्षा,
....माँ....
 हम अपने,
 सिर हंसकर बलिदान करते है।
 माँ हम तुझे, सलाम करते है।.......
 हिम्मत है, अगर किसी में,
 वो, सीमा की तरफ,
 आँख उठाकर देखे,
.....माँ.....
 देखना, तेरे बेटे
 उसका कैसा हाल, करते है।
 माँ हम तुझे, सलाम करते है।.....
 ..©यशपाल सिंह "एडवोकेट"
 25/01/2015

प्यार कैसा होता है....

 प्यार कैसा होता है,
 मुझे नहीं, पता।
 लेकिन,
 इतना
 अहसास है, मुझे।....
 गुजरते है,
 जब,
 वो, करीब से..
 तो, धडकने,
 बढने लगती है।
 मन में,
 भूचाल से आते है।....
 मचल उठता है,
 दिल मेरा,
 उनके,
 मनुहार को,
 इसमें,
 तूफान से आते है।....
 हुआ, करता था,
 ऐसा,
 पहले कभी,
 जब,
 वो करीब थे,
 अब, सिर्फ, मन में,
 यूँ, ख्याल से आते है।....
 ....© यशपाल सिंह "एडवोकेट"
23/01/2015

शुक्रवार, 2 जनवरी 2015

Happy New Year कहना था।

मेरी, यह कविता सत्य घटना पर आधारित है। कल्पना का कोई सहारा नही लिया गया है। इसका किसी फेसबुक मित्र/Whatsaapमित्र या पूर्व प्रेमिका (वर्तमान में पतनी को छोडकर नही है) या किसी भी पुरुष/महिला से कोई भी सम्बन्ध किसी प्रकार का नही है। और न ही किसी की भावना को ठेस पहुंचना मेरी कविता का उद्देश्य है। यह कविता मैंने, अपनी श्रीमती जी के लिए,.. लिखी है। जो मुझसे नाराज है। वे 28/12/14 से अपने मायके गयी हुई थी। मैंने 31/12/14 की रात को Happy New Year का SMS किया था। पर सुबह 1/1/15 को उठकर फोन नही कर सका और वे.... नाराज हो गयी। बाद में दोपहर को फोन किया तो मैडम जी, नाराज थी। मैंने समझाया की "नववर्ष" तो अभी शुरू ही हुआ है, पर नहीं मान रही। ...इस प्रकार लघु कविता के माध्यम से उन्हें समझने व् मनाने का लगातार प्रयास जारी.. ....

Happy New Year
कहना था।
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भूल कर गुस्सा,
झील सी, शांत हो,
तुम, जरा मुस्कुराओ।
..... तो, कह दूँ।

गलतिया, माफ़ कर,
जताकर..... प्यार,
फिर मेरे, करीब आओ।
..... तो, कह दूँ।

पहले, सा मानकर,
महोब्ब्ते इजहार, कर,
मुझे, .. अपना बनाओ।
...... तो, कह दूँ।

ठण्ड, बहुत है,
तुम, चाय बना कर,
अपने, हाथो से पिलाओ।
......तो, कह दूँ।

झुकी, डाली सी,
शरमा कर, बल खाकर,
मरग, नैनो को उठाओ।
.......तो, कह दूँ।


तुम पढकर, मेरी,
कविता हंसकर,
मुझे, सीने से लगाओ।
..... तो, कह दूँ

***Happy New Year***

....©Yashpal Singh "Advocate"
2/1/2015      6:10pm

नये, साल की, पहली बारिश...

नये, साल की, पहली बारिश...
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नये, साल की,
पहली बारिश।
रुमझम-रुमझम,
रिमझिम-रिमझिम।
चलो,
कुछ, सपने सजाते है..
भीगना, ..तो है,
पूरे, साल,
बारिश में,
अकेले-अकेले।
आज, हम..
दोनों,
साथ मिलकर,
भीग, जाते है।
चलो,
कुछ, सपने सजाते है..

....©Yashpal Singh "Advocate"
02/01/2015

पुराना साल, जाते-जाते.....

पुराना साल, जाते-जाते.....
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पुराना साल,
जाते-जाते,
मुझे, कई तौहफे दे, गया...

सब, ठीक चला,
खुशिया, बरसती रही,
काम, कुछ अनोखे दे, गया...
पुराना साल,
जाते-जाते,
मुझे, कई तोहफे दे, गया....
उनसे, बाते,
होती रही,
मुलाकात, के
कई, मौके दे, गया....
पुराना साल,
जाते-जाते,
मुझे, कई तोहफे दे, गया....
..©Yahpal Singh "Advocate"
..31/12/2014