YASHPAL SINGH ADVOCATE
सोमवार, 13 जुलाई 2015
मोती बने अगर, आंसू तुम्हारे,
मोती बने अगर, आंसू तुम्हारे,
अपने आँचल,. में समेट लूँगा।....
सितारे बन बरसे, ....घर मेरे,
अपने आँगन में,. समेट लूँगा।....
बदरा बन बरसे,...... संग मेरे,
उन्हें वफाओ का.. सिला दूँगा....
..©Yashpal Singh "Advocate"
8-7-2015 12:05pm
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