YASHPAL SINGH ADVOCATE
मंगलवार, 4 नवंबर 2014
वो, सीखने चले थे........
वो, सीखने चले थे।
मैं, सीखने चला था।
प्यार का अध्याय।
पढ़ाने चला था।
सबक, वो नही था।
जो, वो समझ गये।
सबक, वो था।
जो मैं,
उन्हें समझा न सका।
आँखे, बयाँ करती रही।
हाले दिल।
जुबां से, कुछ बता न सका।
........... © "यशपाल सिंह"
नई पोस्ट
पुराने पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
संदेश (Atom)