सोमवार, 26 मार्च 2012

अजब है, ये प्रेम कहानी,


अजब है, ये प्रेम कहानी,
कभी लगती है, नयी,
कभी लगती है, पुरानी........
इस भौतिकता के दौर में,
लोगों को, नित नये आवास,
पसंद है,
मैं तुम्हारे,... दिल के,
टूटे खंडरो में रहता हूँ,
कभी बनकर लहू, जिगर का,
धमनियों में बहता हूँ,
भले ही तुम न कहो,
मुझे, पता है,
तुम भी याद, करते हो,
मुझे ,
तन्हाई में अक्सर,
और,
यादों के सितम, सहते हो,
ये तुम्हारी, बदकिस्मती है,
की , तुम बया नही, करते,
जब, किसी नये को,
मकान किराये पर दिया हो,
तो सिकवा-गिला नही करते,
.......”यशपाल सिंह”

बुधवार, 7 मार्च 2012

लो भाई, आ गयी होली,


लो भाई, आ गयी होली,
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नई उमंग, नई तरंग,
जीवन, में बरसाने रंग,
लिए, बहारे संग,
अब, रंग में रंग जायेगीं ,
सूरते, भोली- भाली, 
लो भाई, आ गयी होली.......
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कुछ हाथो में, पिचकारी है,
कुछ हाथो, में है- गुलाल,
कुछ, चेहरे पहिचाने जाते,
कुछ, रंग ने किये बे-पहिचाने,
होली, लिखी टोपी- ओढ़े,
बस, निकल पड़ी है,
मस्तानों कि टोली,
लो भाई, आ गयी होली.......
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नये, एहसास है,
है, नये जज्बात,
मौसम का भी, अनोखा साथ,
लगता है,
होली के बहाने, होगी उनसे मुलाकात,
कुछ पर रंग है, रिश्तों का,
कुछ , पर भंग का रंग,
किसी के सर चढ़, आशिकी बोली,
लो भाई, आ गयी होली.......
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मेरे गावं कि होली में,
पहले, चले गुलाल,
फिर, पानी के --- रंग,
उसके बाद, ना पूछो,
काला तेल, और कीचड,
बिगड देता है --- ढंग,
मैं, ठीक लेटा हूँ, कुछ शराबी,
नाली में, पड़े-पड़े देते हैं, बोली,
लो भाई, आ गयी होली.......
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सोच, रहा था, मैं किसी को,
आखिर, मेरी लग गयी आँख,
स्वप्न देखा,.......
होली का दिन था,
था, अच्छा बहाना,
प्रेमिका थी, मेरे साथ,
गुलाल, लगाया लाल गालो पर उसके,
फिर, कि प्रेम कि प्यारी-प्यारी बात,
आगोश में था, मैं उसके,
खुशी कि हँसी, होठो पर उभर आई,
झट से जगा दिया,
सोते-सोते दांत ही, पाड़ते रहोगे, कब-तक,
ऐसा, श्रीमती जी बोली,
लो भाई, आ गयी होली.......
.........यशपाल सिंह “एडवोकेट”
लेखतिथि:- 07-03-2012