सोमवार, 20 फ़रवरी 2012

जवानी की दहलीज पर प्रथम कदम .... भाग -1


जवानी की दहलीज पर प्रथम कदम .... भाग -1
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आज-कल बदले- बदले से उनके, आसार नजर आते है !
जब से उन्होंने, कदम रखा है,
जवानी के गलियारे में,
तब से, मीठे-भारी,
स्वर, होने के उनके,
 आसार नजर आते है,............
आज-कल बदले- बदले से उनके, आसार नजर आते है !
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चाल कुछ मस्त सी है,
टहलने में पश्त सी है,
शरीर में अलग लचक सी है,
बस,
छु लिया, जवानी के पाले को,
ऐसे, मुझे ......
आसार नजर आते है,
आज-कल बदले- बदले से उनके, आसार नजर आते है !
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जहां से वो गुजरते है,
वहाँ........ पर,
हवाए, बदलने लगी है,
हवाओ, अजब सी खुशबु है,
जो, कभी पहले न थी,
इस, भीनी खुसबू को,
शायद, फूलो की खुशबु समझ,
पागल हो जायेगे,
भौरे... ऐसे आसार नजर आते है,
आज-कल बदले- बदले से उनके, आसार नजर आते है !
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 जब,
पहले, आयने में ,
निहारते, थे चेहरा अपना,
तब में और अब में फर्क है,
लगता है] सच हो गया,
उनका सपना,...
अब, उनके रुखसार के आगे,
आयने भी शर्मशार... नजर आते है,
आज-कल बदले- बदले से उनके, आसार नजर आते है !
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लगता है,
मन और शरीर में आ गयी ,
परिपक्वता,
अब वे, हुए समझदार नजर आते है,
मन चंचल और तेज हुआ,
देह हो गयी है, सुढोल,
कुछ, उभार नजर आते है,
तभी तो..... कुछ,
बदले – बदले से सरकार नजर आते है,
आज-कल बदले- बदले से उनके, आसार नजर आते है !
.....यशपाल सिंह 

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