शनिवार, 31 दिसंबर 2011

पुराने "वर्ष" की पीड़ा.........


नववर्ष पर विशेष :-
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पुराने "वर्ष"  की पीड़ा.........
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देखो,
तुम मुझे यूँ - ना भुला देना, 
चला  हूँ, मैं तुम्हारे साथ-साथ,
कभी, बनकर, तुम्हारा अपना,
कभी, बैगाना,
बचपन में, तुम्हारे साथ, खेला,
जवानी में, अरमानो से -खेला,
बुढ़ापे में, तन्हाई  को झेला,
अब, अंत में , सोच रहा हूँ,
की,
मैंने, तुम्हारे साथ,
अपने, कुछ, अनमोल, यादगार,
पल, 
जो बिताये, थे तुम्हारे, आगोश में,
तब, रहता था , खामोश मैं, 
वे, याद रहेगे, मुझे, सदैव, मेरे  जहन में,
कल, वे पल, बन जायेगे इतिहास,
तुम मुझे यूँ - ना भूल जाना '
क्योंकि,
मैं, हूँ-----बिता हुआ, साल,
देखो,
तुम मुझे यूँ - ना भुला देना, 
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बस,
आज रात आखरी रात है, मेरी,
तुमसे ये, अंतिम मुलाकात है, मेरी 
आज से, अब से, अभी से,
तुम मुझे, अपना ना , समझना,
मुझे , पता है,
तुम खुश, हो मेरी जुदाई पर,
और, अपनी बेवफाई, पर,
मैंने, तुम्हे सदा अपना माना,
तुम्हे, देखा, परखा और जाना,
मैं, 
दुखी हूँ,  - क्योकि, 
होते ही,  आधी रात ,
तुम छोड़, दोगे मेरा साथ,
थाम लोगे, किसी---
अनजने, न्वातुग,
अजनबी, का हाथ ,
हहोल्ला,
और ख़ुशी के साथ .....
भले ही वह, नव वर्ष होगा,
पर, फिर भी सम्भलकर रहना ,
कहीं , दे दे ना , वो तुम्हे धोखा,
उसका, नही कोई भरोसा,
यकीन है, मुझे 
उसके आने पर,
तुम खुशिया, मनाओगे जरुर,
नया, वर्ष मनाओगे जरुर ,
छलका, के मय का प्याला,
बहका कर, कदम अपने ,
बनाकर , बहाना ,
उसके,आगोश में जावोगे जरुर, 
देखो,
तुम मुझे यूँ - ना भुला देना, 
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यशपाल सिंह "एडवोकेट"
रामपुर मनिहारान
जिला- सहारनपुर -- उ. प्र.

शनिवार, 17 दिसंबर 2011

मेरे पास होने का , अहसास करना...........


मेरे पास होने का , अहसास करना...........
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जब,
सर्दियों की ठंडी,हवा चले,
यादों, को सहला जाये,
तब,
मुझे , तुम याद  करना,
निकल, आउगा , मैं  फोटो से ,
बस, आँखें मुंद, फैलाकर अपनी बाँहे,
मेरे पास होने का , अहसास करना...........
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तुम, 
समझना, घने कुहरे को , बंद कमरा ,
कुहरे, अपारदर्शिता को , तन्हाई,
सर्द , मौसम को, प्यार का मौसम,
और, इन दिल छु जाने वाली, 
हवाओ को,
मेरे ,  आने का अहसास ,
बैचेनी, को सर्दियों की प्यास ,
बस, थमाकर अपने, हाथ  में,
गर्म,  काफ़ी का प्याला ,
मेरे, आने का इंतजार करना , 
बस, आँखें मुंद, फैलाकर अपनी बाँहे,
मेरे पास होने का , अहसास करना...........
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दिल, से ...
हो, सकता है कि, तुमे ठंड लग रही हो,
उत्साह, कि कमी हो, 
आलशय, छाया हो तुम पर,
यादों, में भी नमी हो,
बस , इतना रखना, ध्यान, 
ना, निकलना, मुझे और मेरी यादों को,
अपने, दिल से,
जब, तक मैं रहूँगा वहाँ पर.
तब , तक एक अजब सी गर्मी ,
रहेगी, तुम्हारे सीन में,
जलता रहेगा, ये दिल, 
जैसे- अलाव ,
वो भी, बिन, 
इंधन,
सुलगती,
रहेगी, कोई ना कोई , चिंगारी,
बिना , चमके 
बिना , आवाज 
बिना,  बुझे,  
कंही ना कंही ,
उम्र  भर, 
ऐसे में,
बस, आँखें मुंद, फैलाकर अपनी बाँहे,
मेरे पास होने का , अहसास करना...........
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अकेला ना , 
समझना अपने आपको,
मैं, छुपा रहंगा, तुम्हारे ह्रदय में,
सुलगती, चिंगारी के रूप में ,
गर्म, करता रहुँगा,
तुम्हारे, रात और दिन,
हर पल , रहुगा तुम्हारे साथ,
तुमने, 
जब,  दिल लगाया  था , मुझसे,
उस, दिन को याद करना ,
बस, आँखें मुंद, फैलाकर अपनी बाँहे,
मेरे पास होने का , अहसास करना...........
-------यशपाल सिंह"एडवोकेट"

रविवार, 11 दिसंबर 2011

बस, मुझे, कवि बना दिया .........भाग- 2


बस,
मुझे, कवि  बना  दिया .........भाग- 2
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बस,
मुझे, कवि  बना  दिया .........

जब,
तुम मेरे साथ होती थी,
और  मिला  करते  थे,
हम,
अक्सर तन्हाई में ,
तुमने, फैलाई थी,  अपनी बाहें,
मुझे, आगोश में जकड़ लिया,
तुम्हारी,  बाँहों के, जकडन के,
उस एहसास मुझे ,
सब कुछ भुला दिया,
बस,
मुझे, कवि  बना  दिया .........
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अजब,
वे, मुलाकाते थी,
प्रेम की बाते थी,
शब्द नही थे, तब
मौन स्वीक्रति थी,
गजब आँखों के इशारे थे,
हम लगते तुम्हे प्यारे थे,
बस,
तुमने,उन "मौन इशारों" को,

हमें,
शब्दों में बया करना सिखा दिया,
बस,
मुझे, कवि  बना  दिया .........
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प्यार में,
अनेको किये थे,  हमने वादे,
साथ जीने मरने की,
खायी थी, ...... कुछ  कसमें,
याद है ,
क्या तुम्हे कुछ...... आज भी,
बस,
तुमने भूलकर,...  वे वादे,
मेरी  मुहब्बत को,
नागवार कर, जिन्दगी को,
आंशुओ का, सागर बना,
बस,
मुझे, कवि  बना  दिया .........
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कहा था, तुमने,
कि हम बिछड़कर जी नही,
जुदाई का, कडवा घूट पी नही पायेगे,
हुआ था, मुझे एसाहस---- कि
तुम, बिन शायद,
मैं,  न जी पाऊ, और तन्हा होकर,
पागल न हो जाऊ,
बस,
शुक्रिया तुम्हारा,
तुमने होकर ..........अलग मुझसे,
मुझे, अकेला "जीना" सिखा दिया,

बस,
मुझे, कवि  बना  दिया .........
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.. यशपाल सिंह"एडवोकेट"
रामपुर मनिहारान जिला सहारनपुर [उ०प्र०]
yashpalsingh5555@gmail.com

गुरुवार, 8 दिसंबर 2011

बस, मुझे कवि बना दिया......


बस,
मुझे कवि बना  दिया......
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तुम्हारी,
इन  सुर्ख गालो ने,
बिखरे हुए बालो ने,
मस्त अदाओ ने,
महकी खुशबु ने ,
बहकी चाल  ने, 
तुम्हे, मेरे मन में बसा दिया,
बस,
मुझे कवि बना  दिया......
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झील सी आँखों ने ,
भीगी हुई, पलको से ,
न, चाहते हुए भी,
प्यार का नस्त्र, 
इस, 
पत्थर  दिल में चुभो दिया, 
बस,
मुझे कवि बना  दिया......
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प्यार के,  ख्यालातो ने,
उत्पन्न हुए, जज बातो ने,
मुझे, 
अकेलेपन और नीरसता से,
कुछ उपर उठ दिया,
बस,
मुझे कवि बना  दिया......
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भावनाए  थी, पहले  भी,
इस, दिल में ,
छुपी हुई थी, मौन अभिव्यक्ति,
कोने में, 
थे, कुछ जीवित  एहसास,
तुमने, 
झन्झोरा मेरे मन को, कुछ ऐसे,
कि, बस
सोयी हुयी,
कवि, प्रतिभा  को जगा दिया 
बस,
मुझे कवि बना  दिया......
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धडकता था, ये दिल पहले भी, 
सिर्फ मेरे  लिए ,
पर, आकर तुमने,
दिल में ,
बनकर गैर,
इस दिल को गैरो  के लिए,
धडकना सीखा  दिया,
बस,
मुझे कवि बना  दिया........
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........यशपाल सिंह  "एडवोकेट"
      रामपुर  मनिहारान जिला सहारनपुर 

शनिवार, 3 दिसंबर 2011

महोदय, चले योग करने ....


हास्य कविता .....;

महोदय, चले योग करने ....
जब ,  
मेरा मोटा हुआ, पेट 
और बढने लगा, वेट,
तो शरीर को बेडोल ,
होने की चिंता ने सताया,
मेडम के कहने पर,, कि,
तलाश , 
तो 
मुझे,
योग सिखाता, एक 
गुरु, नजर आया,
गुरु जी को मैंने, 
अपनी समस्या बताई,
गुरु जी ने कहा, अब चिंता 
मत कर भाई ,
बस, 
अब सुबह चार  बजे,
उठने के फिक्र लग जा,
ज्वाइन कर रोज क्लास,
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फिर , क्या था,
घड़ी, में लगने, लगा 
रोज अलार्म,
चार बजे , हो जाती ,
दिनचर्या स्टार्ट,
मेडम, मुझे 
एक पल जायदा,
सोने न देती,
बस,
सुबह की सुहानी नींद,
हो गयी बर्बाद,
योग, ज्वाइन  करने का,
होने लगा मुझे पश्चाताप,
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गुरु जी, बोले
पहले करो हल्का-हल्का
व्यायाम,
उसके बाद, प्राणायाम!
फिर, योग का असर
देखना,
ये वर्षो से,
बंजर और वीरान पड़े खेत,
इस, बार फसलो से लहरायेगे,
यानि,
तुम्हारे, इस टकले सिर पर ,
जल्द, ही बाल उग आयेगे,
कम होगा पेट,
घट जायेगा वेट,
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मैने,
सोचा, अच्छा होगा,
करुगा योग,
कम होगा पेट,
शरीर हो जायेगा अपडेट,
फिर तो,
लड़किया मुझ पर लाइन मारेगी,
कुछ करेगी फोन,
कुछ करेगी मेल,
कुछ करेगी एस एम एस,
तो कुछ,
सिर्फ,मिस काल ही मारेगी,
अगर ऐसा हुआ,
तो मुझ पर फिर से,
जवानी आएगी,
मेरी उम्र ३२ की बजाये,
२२ की नजर आएगी,
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और
अगर,
योग, महिलाये भी करे ,
तो वे भी अपडेट,
हो जाएगी,
उनकी वो बात, 
सच हो जाएगी,
क्या ?
..... वे पिछले,
की सालो से,
उम्र , पूछे जाने पर 
डाक्टर, के पर्चो पर,
अपनी उम्र, जो २४ की,
की लिखवाती आई है,
वे यदि,
योग, पर हाथ आजमायेगी ,
तो १९ की नजर आएगी,
बिना डायटिग किये,
अपना वेट घटाएगी,
65 के बजे  45 किलो पर आएगी,
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योग,
करता रहा मैं निरंतर,
एक दिन ऐसा हुआ,
की, अचानक,
मेरे पेट में बहुत दर्द हुआ,
मुझे,
घर में दवाई नही दी गयी,
गुरु जी के बताये,
हथेली के  प्वाइंटो को दबाकर ,
मेरा इलाज शुरू हुआ,
बस,
कराह उठा  मैं,
पेट में कम था,
हथेली में ज्यादा दर्द हुआ,

....यशपाल सिंह"एडवोकेट"