मंगलवार, 8 नवंबर 2011

इश्क....

इश्क.......
पहले खुशिया देता है,
फिर, हल्का हंसता है ,
उसके बाद पंख लगता है,
और प्यार की नाव पर,
बैठाता है,
नाव का भरोसा नही,
पार भी करा, सकती है,
वरना,
इस नाव के साथ 
इंसान डूब जाता है,
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इश्क.........
गमो की  मण्डी  है,
गुमराह राहों की , पग डंडी है,
गमो को खरीदना है, 
तो , आ बोली लगा,
वरना छोड़,
पग डंडी,
सीधी राह से निकल जा,
बोली लगाये गा,
तो खुद फंस जायेगा,
बिना लिए वापस न जायेगा!,
गम, पड जायेगे गले,
सारी उम्र,
बस 
गमो में ही बिताएगा,
पहले प्यार,
को
कभी  भूल न पायेगा,

........  "यशपाल सिंह "

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