रविवार, 16 अक्तूबर 2011

उसकी तारीफ में दो शब्द.....


उसकी तारीफ में दो शब्द.... 
मैं, उसकी तारीफ, 
न ही करू, तो अच्छा है, - मुझे 
नही, पता उसका  प्यार झूठा है, 
कि सच्चा है,- --वो,
लडकी बड़ी चंचल है, 
जैसे सरिता बहती कल-कल है,
नागिन सी विचरती है 
हिरनी सी चलती है,
मुझे नही पता .......
स्वच्छ शांत,बीहर है , या ,
मस्त पवन का झोका  है,
छूने से कई बार
उसने, मुझे रोका है!,
मुझे नही पता ...
उसकी आँखे.म्रग नैनी है,
या, सागर सी गहरी  है ,
या, आपस में बतायते,
दो, खंजन पक्षी है ,
उसकी जुल्फे, 
सावन कि काली घटा है,
बादल सी गरजती है,
नागिन सी लरजती  है!,
मुझे नही पता .....
उसके होट
कितने नाजुक है ,
गुलाब से रंगीन , कोमल है,
या, बिम्ब के पके हुए फल है,
चेहरा,
कमल का फूल है ,
या, चन्द्रमा के समान है,
रंग गुलाबी है, या लाल है,
मुझे नही पता .....
उसका, आंचल गुजती ,
बदली की परछाई  है,-
या,-किसी वट व्रक्ष की छाया है,
वो, मनुष्य है भी या नही ,
या, -परी कोई आसमा से आई है ...
 ........."यशपाल सिंह"

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