रविवार, 4 सितंबर 2011

जब हम गरीब थे,


जी, सुनते हो ,

जब हम गरीब थे
तो एक दुसरे के,
कितने करीब थे !
तब,
आपके, पास,
समय की, नही थी,
कमी कोई,
आप,
हर वक्त, मेरे पास,
हुआ करते थे,
तब,
मुझसे,
किया करते थे ,
बाते ,
प्यार कीप्यारी-प्यारी  
तब
आपसे मिलने,
कम ही लोग ,
आते थे!
और आप, मीटिंगों,
में भी, नही,
जाते  थे,
आप ,
अधिकतर समय,
मेरे,
साथ ही बिताते थे ,
तब, हम,
कितने खुशनसीब थे ,

जब हम गरीब थे
तो एक दुसरे के,
कितने करीब थे

तब, 
आपको 
अहसास था
मेरे प्यार का,
जज बात का,
प्यार के इजहार का ,
संयोग और श्रंगार ,
ह्रदय की, आवाज का ,
नैनो की भाषा का ,
प्रेम और  प्रीत का ,
अपने मन मीत का
तब, हमारे ,
सपने कितने,  हसीन थे ! 

जब हम गरीब थे
तो एक दुसरे के,
कितने करीब थे

तब
आपको 
चिन्ता थी,
मेरी,
सेहत और सोंदर्य की ,
साजो श्रंगार की ,
खान-पान के ध्यान की,
कर्तव्यो के ज्ञान की !

जब हम गरीब थे
तो एक दुसरे के,
कितने करीब थे
तब
ना, बच्चे थे,
ना, था घर में, डबल बैड,
घर में एक थी, चारपाई,
और सिंगल थी, रजाई,
तब,
घर, में 
, थी कोई बीमारी,
, तुम्हे लगती थी,
पड़ोसी की पतनी,
प्यारी,
तब, हम
कितने
रोमांटिक
थे,  

जब हम गरीब थे
तो एक दुसरे के,
कितने करीब थे, 
..................आपका यशपाल सिंह  

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